आज सुबह ही सुबह राजस्थान पत्रिका के वेब ब्लॉग कॉर्नर में अपने ब्लॉग ' बचपन के गलियारे' के बारे में कुछ लिखा देख आश्चर्य मिश्रित खुशी की सीमा न रही । जिज्ञासा वश एक सांस में ही उसे पढ़ डाला । अपनी खुशी को आप सबके साथ शेयर करना चाहती हूँ और इसके लिए आर्यन शर्मा जी को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ।
वेब ब्लॉग पर चर्चा
दिनांक -21 मार्च,2015
बचपन के गलियारे
अक्सर हम
लोगों को यह कहते सुनते हैं कि काश!हम बच्चे ही रहते। दरअसल,उनके मन में ऐसे विचार जिंदगी की आपाधापी से परेशान होने के बाद आते हैं, जिसमें उलझकर वे अपने बारे में बिलकुल भी नहीं सोच पाते। बड़े होने पर जिम्मेदारियों
का बोझ इस कदर हावी हो जाता है कि हम छोटी-छोटी खुशियों का भी लुत्फ नहीं उठा पाते
,जबकि बचपन में ऐसी ही छोटी छोटी खुशियाँ असीम आनंद देती हैं।
ऐसे में हमारा आज का ब्लॉग यूजर्स को बचपन के गलियारे में ले जाएगा और उसी फन एवं एंजॉयमेंट
का अहसास कराएगा,जो कभी हम बचपन में किया करते थे। 'बालशिल्प’के ब्लॉगर सुधाकल्प (सुधा भार्गव)बेंगलूर निवासी हैं।
ब्लॉग में बच्चों को संबोधित करते हुए वे कहती हैं ,’एक दिन मैं
भी तुम्हारी तरह छोटी थी। अब तो बहुत बड़ी हो गई हूँ। लेकिन छुटपन की यादें पीछा नहीं
छोडतीं। उन्हीं यादों को मैंने कहानी किस्सों का रूप देने की कोशिश की है।‘लिहाजा ब्लॉग न सिर्फ बच्चों का मनोरंजन करेगा ,बल्कि
बड़ों को भी अपने भोलेपन के दौर की खुशबू का अहसास करवाएगा। ब्लॉगर ने अपने बालसंस्मरण
,’धोबी –धोबिन का संसार
, में बचपन में घर पर गंदे कपड़े लेने आने वाले धोबी-धोबिन के बारे में बताया है। उनका हुलिया कैसा था। वे कैसे
परिधान पहनते थे और घर के लोगों को कैसे संबोधित
करते थे। । भले ही ये बातें आज फिजूल लगें,लेकिन बालमन हमेशा
जिज्ञासा का केंद्र रहा है । धमाचौकड़ी,शैतानी और उस बचपन की मासूमियत
को ब्लॉग के फ्रेम में बड़ी खूबसूरती के साथ जड़ा गया है,जिसमें
आप खो जाएँगे।
ब्लोह का पता है-
-आर्यन शर्मा
हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंकविता जी ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
हटाएंMany-Many Congts.
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