नये वर्ष की नई अभिलाषा ----

बचपन के इन्द्र धनुषी रंगों में भीगे मासूम बच्चे भी इस ब्लॉग को पढ़ें - - - - - - - -

प्यारे बच्चो
एक दिन मैं भी तुम्हारी तरह छोटी थी I अब तो बहुत बड़ी हो गयी हूं I मगर छुटपन की यादें पीछा नहीं छोड़तीं I उन्हीं यादों को मैंने कहानी -किस्सों का रूप देने की कोशिश की है I इन्हें पढ़कर तुम्हारा मनोरंजन होगा और साथ में नई -नई बातें मालूम होंगी i
मुझसे तुम्हें एक वायदा करना पड़ेगा I पढ़ने के बाद एक लाइन लिख कर अपनी दीदी को अवश्य बताओगे कि तुमने कैसा अनुभव किया I इससे मुझे मतलब तुम्हारी दीदी को बहुत खुशी मिलेगी I जानते हो क्यों .......?उसमें तुम्हारे प्यार और भोलेपन की खुशबू होगी -- - - - - -I

सुधा भार्गव
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शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

जब मैं छोटी थी



॥13॥ पतंगबाजी
सुधा भार्गव 
मैं जब छोटी थी आकाश में रंग बिरंगी ,झिलमिलाती पतंगों को देख कर मन करता--- पतंग उड़ाऊँ !पर कभी उड़ा नहीं सकीI जब भी डोर के सहारे पतंग को हवा में उड़ाने की कोशिश की ठक से वह जमीन पर गिर गई और फट गई I मैं दुःख में ड़ूब जाती ऐसा लगता मानो एक नाजुक सी चिड़िया ऊपर से आन गिरी हो और वह उठाने को कह रही हो I मैं धीरे से पतंग को उठाती .फटी जगह को गोंद से चिपकाने की कोशिश करती और कई दिनों तक उसे अलमारी में रखे रहती I