नए साल का उपहार /सुधा
भार्गव
जापानी गुड़िया |
उसका गुड़िया प्रेम कुछ निराला
ही हैं । सात पूत की माँ और दर्जन भर पोते पोतियों की दादी –नानी माँ बन गई है पर गुड़िया
उससे छूटी नहीं । बचपन में उसकी पिटारी कागज,काठ और कपड़े की बनी गुड़ियों से भरी रहती । उठाओ तो बड़ी
भारी,खोलो तो कबाड़ा । उसकी शादी के समय पिताश्री ने सोचा –इसके लिए कुछ
नई गुड़ियाँ मँगा दी जाएँ वरना यह कबाड़ा ही अपने साथ ले जाएगी। सो राजा टोंयज छाप कंपनी
की छोटी –बड़ी,मोटी –पतली पाँच –छ्ह गुड़ियाँ मंगा दीं। मगर इतने से
उसकी तृप्ति कहाँ! कलकत्ते ससुराल जाते ही जाते ही बंगाली वर –बधु खरीद लिए।
कुछ समय बाद घर में एक
जीती -जागती गुड़िया आ गई। सारा समय वह उसका ले लेती पर शोकेस में सजाईगुड़ियों को निहारना
न भूलती। बेटी ससुराल गई,बेटे बड़े हो गए तो बाहर घूमना क्या शुरू हुआ घर में
गुड़ियों की आबादीबढ्ने लगी। योरोप से 2-3 डॉल खरीद लाई। कनाडा पोती के होने में गई
तो वहाँ से भी बोलती-चलती-फिरती गुड़िया खरीदना न भूली। उसके इस जुनून को सब जानते थे।
टोकाटाकी भी न करते। जानते थे रोकने से वह रुकेगी नहीं।
घर में पोती आई तो उसे कलेजे
से लगा बैठी। उसे बहुत बरसों बाद जीती-जागती सुंदर सी गुड़िया मिली थी। पोती पर भी दादी
की छाप पड़ गई। उसके लिए भी वह नीली –नीली आँखों वाला ,गोरा
–चिट्टा गुड्डा खरीद लाई जो देखने में 6 माह का लगता था। पोती तो उससे भी दो कदम आगे
निकली। मजाल है कोई उसे छू ले। कोई बच्चा घर में आता तो उसे छुपा देती। जब वह अपने
मम्मी –पापा के साथ लंदन उड़ी तो गुड्डा उसकी गोद में बैठा था। पोती के जाने की बाद
दादी माँ टूट सी गई। हाँ, फोन पर बातें करके ,लैपटोंप में स्काईपी पर उसे
देखकर अपना कलेजा जरूर ठंडा कर लेती।
दो साल पहले बेटा जापान जाने
लगा। पूछा –माँ ,आपके लिए क्या लाऊं ?
-बेटा वहाँ से जापानी डॉल लाना
–बड़ी सी। बच्ची की तरह बोली।
-ठीक है आपके लिए ले आऊँगा।
-पहले अपने लिए लाओ ।फिर मेरे
लिए लाना। जानती थी उसकी पोती को भी डॉल का बहुत शौक है।
पिछले साल वह लंदन गई। ड्राइंग
रूम में घुसते ही आनंदित हो उठी –अरे वाह !कितनी
सुंदर है! उसकी निगाह कोने में अटक –अटक जाती । बेटा उन निगाहों को पहचान गया। बोला-इस
गुड़िया को भारत अपने साथ ले जाना।
--न –न । अगली बार मेरे लिए
दूसरी ले आना।
2013 नवंबर में उसे मालूम हुआ
,बेटा जापान जाने वाला है।
फोन खटखटाने में देरी न की
–मेरे लिए जापानी गुड़िया जरूर ले आना और हाँ, मिले बहुत दिन हो गए हैं। अगर दिसंबर में आओ तो गुड़िया
यहाँ लाना न भूलना।
भाग्य से 28 दिसंबर को बेटा
दो रातों को भारत आ गया और माँ के लिए नए साल का तोहफा लाना न भूला। उसे देखकर वह उस
डॉल की यादों में डूब गई जो उससे बहुत दूर है। नए वर्ष 2014 में जो भी मिलने आता है
वह उसे जापानी गुड़िया दिखाना नहीं भूलती है और कहती है –ठीक ऐसी ही जीती-जागती, दौड़ती -भागती गुड़िया
लंदन में भी रहती है ।
गुड़िया |
समाप्त
सुधा भार्गव
बैंगलोर
9731552847
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीया-
रवि जी
हटाएंनववर्ष की मंगलकामनाएं । आपकी अमूल्य टिप्पणी के लिए शुक्रिया ।
बहुत सुन्दर गुडिया और गुडिया-प्रेम । दीदी आपको नववर्ष और भी ढेर सारी ऊर्जा और खुसियाँ लाए ।
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